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अकबर बीरबल के किस्से - भाग 34

मुल्ला नसरुद्दीन और एक फ़कीर


एक बार मुल्ला नसरुदीन के गाँव के बाहर एक फ़कीर आया जिसने ये दावा किया कि वो किसी भी अनपढ़ को अपनी विद्या से कुछ ही पलों में साक्षर कर सकता है जिसके बाद वो कोई भी किताब या साहित्य को पढ़ सकता है।

मुल्ला ने ये सुन तो दौड़ा दौड़ा वंहा पहुंचा और फ़कीर से बोला कि क्या आप मुझे साक्षर कर सकते है। इस पर फ़कीर ने कहा हाँ क्यों नहीं इधर आओ। मुल्ला पास गया। फ़कीर ने मुल्ला के सर पर हाथ रखा और कुछ देर बाद उस से बोला कि अब जाओ और कुछ पढो।

मुल्ला अपने गाँव लौटा और आधे घंटे बाद वापिस हांफता हुआ आया। क्या हुआ इतने बदहवास क्यों हो और क्या तुम अब पढ़ सकते हो ? लोग पूछने लगे तो मुल्ला ने जवाब दिया “हाँ मैं पढ़ सकता हूँ पर मैं ये बताने नहीं आया हूँ मुझे ये बताओ वो ढोंगी फ़कीर कंहा है ?”

लोग कहने लगे फ़कीर ने तुम्हे कुछ ही मिनटों में पढने लायक बना दिया और तुम उन्ही को ढोंगी कह रहे हो शायद तुम पागल हो गये तो तो मुल्ला ने जवाब दिया मैंने जाते ही जो किताब पढ़ी उसमे लिखा हुआ है “सभी फ़कीर ढोंगी और बदमाश होते है ” इसलिए मैं उस फ़कीर को ढूंढ रहा हूँ। सब लोगो ने माथा पीट लिया।

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